मारने वाले से बचाने वाला बड़ा होता है – Gautam Buddha Story
यह कहानी गौतम बुद्ध की बचपन की है। हम सभी गौतम बुद्ध को तो जानते ही हैं। ( Nice Moral story in Hindi ) गौतम बुद्ध बौद्ध धर्म के संस्थापक थे। गौतम बुद्ध के पिता का नाम शुद्धोधन था। वह कपिलवस्तु के शासक थे। गौतम बुद्ध के बचपन का नाम सिद्धार्थ था। बचपन में गौतम बुद्ध एक राजकुमार थे। परंतु बाद में उन्होंने अपना राजपाट छोड़कर सन्यास ले लिया। यह कहानी सिद्धार्थ की है अर्थात गौतम बुद्ध के बचपन की।
एक बार जब सिद्धार्थ अपने बगीचे में खेल रहे थे, तभी उनके पास एक पक्षी आकर गिरा। उसके शरीर पर तीर चुभा हुआ था। वह पक्षी दर्द से कराह रहा था। सिद्धार्थ को उस पक्षी पर दया आ गई। उस पक्षी के पास गए और धीरे से गोद में उठाया। और उस पक्षी के शरीर से तीर को बाहर निकाला। बेचारा पक्षी दर्द के मारे छटपटाने लगा। फिर सिद्धार्थ ने उससे थोड़ा पानी पिलाया।
तभी दूसरी तरफ से सिद्धार्थ का भाई आया। उसने सिद्धार्थ से कहा," यह तुम क्या कर रहे हो? ( Short Story in Hindi for kids ) या पक्षी मेरा है इसे मुझे दो। मैंने इसे तीर मारा या मेरा शिकार है।" अपने भाई की बात सुनकर सिद्धार्थ ने उससे कहा," तुमने इस मासूम पक्षी पर तीर क्यों चलाया इसने तुम्हारा क्या बिगाड़ा था।" सिद्धार्थ के भाई ने उसकी कोई बात नहीं सुनी और वो उससे वह पक्षी मांगने लगा। सिद्धार्थ ने अपनी भाई की बात नहीं मानी और वह घायल पक्षी को लेकर अपने अपने कक्ष की तरफ चले गए।
Read More:-
- Hindi Short Story - चालाक मछली - Chalak Machli
- Moral story for childrens in Hindi - ख़ुशी के पीछे मत भागो !
वहां उन्होंने उस पक्षी का अच्छे से देखभाल की और उसके घाव पर दवाइयां भी लगाई। इधर सिद्धार्थ का भाई अपने पिता राजा शुद्धोधन के पास चला गया। उसने वहां जाकर सिद्धार्थ के खिलाफ शिकायत की। उसने राजा से कहा कि सिद्धार्थ उसका शिकार लेकर चला गया है। तब राजा ने अपनी दूसरी बेटे सिद्धार्थ को बुलावा भेजा। राजा ने सिद्धार्थ को राजसभा में पेश होने का आदेश दिया।
सिद्धार्थ घायल पक्षी के साथ राजसभा में पेश हुए। वहां उनका भाई पहले से ही था। ( Gautam Buddha Story ) राजा ने सिद्धार्थ से सारा विवरण बताने को कहा। सिद्धार्थ ने राजा से कहा," इसने इस मासूम से पक्षी पर अपना हक समझकर तीर चलाया है। इस पक्षी की क्या गलती थी जो इसे मारा जा रहा था। मैंने इसके शरीर से तीर निकाला, इसके घाव पर दवाइयां लगाई, इसकी जान बचाई। इसीलिए यह पक्षी मेरा है।"
दोनों राजकुमारों की बातें सुनकर राजा भी सोच में पड़ गए कि आखिर वह क्या आगे सुनाएं। ( Moral Story in Hindi in short ) फिर उन्होंने कहा," तुम दोनों की बातें सुनकर मेरे भी समझ नहीं आ रहा है कि मैं क्या निर्णय सुनाऊं। यह पक्षी किसका है अब इसका निर्णय स्वयं यह पक्षी ही करेगा। इस पक्षी को यहां बीच में रख दो और तुम दोनों थोड़ी दूरी पर जाकर खड़े हो जाओ। यह पक्षी जिसके पास जाएगा, यह उसी का हो जाएगा।"
राजा की बात मानकर सिद्धार्थ में घायल पक्षी को थोड़ी दूरी पर रख दिया और खुद पीछे जाकर खड़े हो गए। जैसे ही सिद्धार्थ ने उस पक्षी को वहां रखा और खुद पीछे जाने लगे वह पक्षी भी सिद्धार्थ की तरफ बढ़ने लगा। और सिद्धार्थ के पास जाकर उनकी गोद में बैठ गया।
तब राजा ने निर्णय सुनाया। राजा ने कहा," यह पक्षी सिद्धार्थ के पास गया है, आज से यह पक्षी सिद्धार्थ का हुआ। ( Nice Moral story in Hindi in short ) इस बात से यह पता चलता है कि सचमुच मारने वाले से बचाने वाला ज्यादा बड़ा और पूजनीय होता है।"
सीख:-
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमें कभी किसी भी जीव पर अत्याचार नहीं करना चाहिए। नाहीं कोई पीड़ा पहुंचानी चाहिए। बल्कि अगर कोई घायल है तो उसकी सहायता करनी चाहिए। क्योंकि मारने वाले से बचाने वाला ज्यादा बड़ा होता है।
Moral of this Gautama Buddha Story:-
From this story, we learn that we should never torture any creature. No one should suffer. Rather, if someone is injured, they should be helped. Because the rescuer is much larger than the killer.
Read More:-
- Moral Story in Hindi very short - आत्मविश्वास की ताकत
- Moral story in Hindi in short - झूठा तोता - Jhutha Tota
Thank you so much for reading this nice moral story in Hindi. I hope you enjoyed this moral story in Hindi. We all should learn this lesson of this short story in Hindi with moral in our life. We should always be kind full for other creatures. If you like this nice moral story in Hindi, please do comment.
Post a Comment
Post a Comment