प्राचीन भारत में कई बार लोग पक्षियों के आवागमन के लिए घर के आस-पास दानों से भर कर टोकरियाँ लटका रखते थे। राजा के कोषाध्यक्ष के रसोइयों ने भी ऐसा कर रखा था। उन्हीं टोकरियों में से एक में एक कबूतर ने डेरा जमा रखा था जो रात भर तो उसमें रहता फिर शाम ढलते ही वापस अपनी टोकरी में लौट आता।
एक दिन एक कौवा भी वहाँ के रसोई-घर से आती हुई पकते मांसादि की सुगन्ध से आकर्षित हो कबूतर की टोकरी में आ बैठा और प्रेमपूर्वक वार्तालाप करने लगा। कौवे की चिकनी-चुपड़ी बातों में आकर कबूतर ने उसे आतिथ्य प्रदान किया किन्तु यह चेतावनी भी दी कि रसोई घर से उन्हें कुछ भी नहीं चुराना चाहिए।
रसोइयों ने जब दोनों पक्षियों को साथ-साथ देखा तो उन्होंने तत्काल कौवे के लिए भी एक टोकरी, कबूतर की टोकरी के पास लटका दी, यह सोचते हुए कि ऐसा करने से दोनों मित्रों को बातचीत करते रहने के और भी अच्छे अवसर मिलेंगे ।
दूसरे दिन कबूतर जब तड़के ही उड़कर दूर निकल गया तो कौवा अपने वास-स्थान पर दुबका पड़ा रहा। उस दिन रसोइयों ने मछली पकाना आरंभ किया। पकती मछली की सुगन्ध से कौवे के मुख में पानी भर-भर आता।
समय-समय पर वह टोकरी के बाहर सिर निकालता और माँस चुराने का मौका तलाशता। एक बार उसने जब देखा कि रसोई घर के रसोइये थोड़ी देर के लिए धूम्रपान के लिए बाहर निकले हुए थे, तब वह उड़ता हुआ नीचे आया और पकते मांस के एक बड़े से टुकड़े पर चोंच मार दी जिससे हांड़ी के ऊपर रखा कड़छुल नीचे गिर गया। गिरे कड़छुल की आवाज़ सुन एक रसोइया दौड़ता हुआ नीचे आया और कौवे की चोरी पकड़ ली। उसने तत्काल रसोई घर का द्वार बंद कर कौवे को धर दबोचा और बड़ी बेरहमी से उसके पंखों को नोच उसे मिर्च-मसालों में लपेट कर बाहर फेंक दिया। थोड़ी ही देर में कौवे के प्राण निकल गये।
शाम को कबूतर जब अपने निवास-स्थान को लौटा तो उसने कौवे के पंख और मृत देह को बाहर फेंका हुआ पाया। उसने तत्काल समझ लिया कि कौवा अपने लोभ का शिकार हो चुका था। कबूतर एक समझदार और दूरदर्शी पक्षी था। वह तत्काल उस स्थान को छोड़, दूसरे स्थान को प्रस्थान कर गया क्योंकि हर कोई अपने साथियों की मूर्खता के दण्ड का भागी हो सकता है।
- 5 Short Story in Hindi with Moral for Kids – Very Short Story in Hindi
- 3 Best Motivational Story in Hindi for success - Prernadayak Kahaniyan
Post a Comment
Post a Comment